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११ जून, २०२०

लोन का गारंटर बनने के क्‍या जोखिम हैं?

कोरोना महामारी के दौर में लोगों की सैलरी कट रही है. नौकरियां जा रही हैं. अर्थव्‍यवस्‍था में मंदी है. ऐसे में लोन के डिफॉल्‍ट का जोखिम भी बढ़ा है. डिफॉल्‍ट की संख्‍या पर अंकुश लगाने के लिए आरबीआई ने बैंकों और वित्‍तीय संस्‍थानों से ग्राहकों को छह महीने का मोरेटोरियम (लोन की ईएमआई के भुगतान पर रोक) देने के लिए कहा है. पहले उसने मार्च से मई तक यह राहत दी थी. अब इसे बढ़ाकर अगस्‍त तक कर दिया है. जानकारों का कहना है कि इससे लोन के डिफॉल्‍ट की समस्‍या टल गई है. लेकिन, खत्‍म नहीं हुई है. लोन का डिफॉल्‍ट होना उन लोगों के लिए भी बुरी खबर है जो अपने दोस्‍तों और रिश्‍तेदारों के कर्ज में गारंटर हैं. बैंक सभी लोन के लिए गारंटर पर जोर नहीं देते हैं. लेकिन, जब गारंटी पर्याप्‍त नहीं होती है और उन्‍हें कर्ज के चुकाए जाने पर संदेह होता है तो वे ऐसा करने के लिए कहते हैं. बड़ी राशि के एजुकेशन लोन के लिए गारंटर का होना जरूरी है.



गारंटर बनने से पहले सोच-विचार लें 

कर्ज लेने वाला व्‍यक्ति अमूमन अपने दोस्‍तों या करीबी रिश्तेदारों को गारंटर बनने के लिए पकड़ता है. ऐसा कोई व्‍यक्ति अगर आपके पास आता है तो सबसे पहले उसके लोन अदा करने की क्षमता को देख लें.

इसमें अगर ध्‍यान नहीं रखा गया तो यह आपकी रातों की नींद उड़ा सकता है. इंडिया मनी डॉट कॉम के सीईओ और संस्‍थापक सीएस सुधीर कहते हैं, ''ज्‍यादातर लोग संबंधों के चलते गारंटी लेने के लिए तैयार हो जाते हैं. लेकिन, बाद में उन्‍हें न केवल पैसों से नुकसान हो सकता है, बल्कि संबंध टूटने का भी खतरा उठाना पड़ता है.'' 

जोखिम को जानें 

कर्ज लेने वाला व्‍यक्ति अगर डिफॉल्‍ट करता है तो इसके पेमेंट का बोझ गारंटर पर पड़ता है. इसके अलावा भी कई जोखिम हैं, जिनसे उसका सामना पड़ सकता है. किसी और के लोन की गारंटी लेने से आपके लोन की पात्रता पर भी असर पड़ता है. देनदारी के संदर्भ में कर्ज लेने वाले और गारंटर में कोई खास अंतर नहीं होता है. फर्क सिर्फ इतना होता है कि ईएमआई कर्ज लेने वाले के खाते से कटती है. 

पैसा बाजार डॉट कॉम में डायरेक्‍टर और हेड (अनसिक्‍योर्ड लोन) गौरव अग्रवाल ने कहा कि गारंटर बनने से पहले व्‍यक्ति को भविष्‍य की अपनी लोन की जरूरतों के बारे में विचार कर लेना चाहिए. बैंक बाजार के सीईओ आदिल शेट्टी कहते हैं कि कर्ज लेने वाला अगर डिफॉल्‍ट करता है तो इसका असर गारंटर के क्रेडिट स्‍कोर पर भी पड़ता है. गारंटर की डिटेल्‍स भी क्रेडिट ब्‍यूरो के पास जाती हैं. कर्ज लेने वाले व्‍यक्ति और गारंटर दोनों को डिफॉल्‍ट के मामले में एक तरह से देखा जाता है. 

किसी की गारंटी ले चुके हैं तो क्‍या करें? 


अगर आप पहले ही गारंटर हैं तो आपको सावधान रहने की जरूरत है. बैंक बाजार के शेट्टी कहते हैं कि कर्ज लेने वाले व्‍यक्ति से अनौपचारिक रूप से संपर्क में रहें. इस बात को सुनिश्चित करें कि लोन का रिपेमेंट ठीक से हो. कर्ज देने वाले बैंक से भी संपर्क में रहें. इसके अलावा अपना क्रेडिट स्‍कोर भी नियम‍ित रूप से चेक करें. अगर कोई ऊंच-नीच होगी, तो वह आपके स्‍कोर में दिखेगी. क्रेडिट स्‍कोर को नियमित चेक करने से आपकी साख पर कोई असर नहीं पड़ेगा.




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